सकलदत्ति
From जैनकोष
सिद्धांतकोष से
महापुराण/38/36-41 आत्मान्वयप्रतिष्ठार्थं सूनवे यदशेषत:। समं समयवित्ताभ्यां स्ववर्गस्यातिसर्जनम् ।40। सैषा सकलदत्ति:...।41। अपने वंश की प्रतिष्ठा के लिए पुत्र को समस्त कुल पद्धति तथा धन के साथ अपना कुटुंब समर्पण करने को सकल दत्ति (वा अन्वयदत्ति) कहते हैं।40।
( चारित्रसार/43/6 ); ( सागार धर्मामृत/7/27-28 )अधिक जानकारी के लिए देखें दान -1।
पुराणकोष से
दत्ति के चार भेदों में एक भेद । अपने वंश की प्रतिष्ठा के लिए पुत्र को कुलपद्धति तथा धन के साथ अपना कुटुंब सौंपना सकलदत्ति कहलाती है । महापुराण 38.40-41