मणिमती
From जैनकोष
विजयार्ध पर्वत पर स्थित स्थालक नगर के विद्याधर राजा अमितवेग की पुत्री । इसे विद्या-सिद्धि में संलग्न देखकर रावण कामासक्त हो गया था । उसने इसकी विद्या हर ली थी जिससे कुपित होकर इतने रावण वध का निदान किया था । इसी निदान के कारण यह आयु के अंत में मंदोदरी के गर्भ से उत्पन्न हुई थी । इस पर्याय में इसका नाम सीता था । महापुराण 68.13-17