रत्नकंठ
From जैनकोष
अश्वग्रीव का ज्येष्ठ पुत्र और रत्नायुध का भाई । ये दोनों भाई मरकर चिरकाल तक भव-भ्रमण करने के पश्चात् अतिबल और महाबल असुर हुए थे । इसका अपरनाम रत्नग्रीव था । (महापुराण 63. 135-136) देखें रत्नग्रीव पूर्व पृष्ठ अगला पृष्ठ
अश्वग्रीव का ज्येष्ठ पुत्र और रत्नायुध का भाई । ये दोनों भाई मरकर चिरकाल तक भव-भ्रमण करने के पश्चात् अतिबल और महाबल असुर हुए थे । इसका अपरनाम रत्नग्रीव था । (महापुराण 63. 135-136) देखें रत्नग्रीव पूर्व पृष्ठ अगला पृष्ठ