स्वराज्यप्राप्तक्रिया
From जैनकोष
गृहस्थ की तिरेपन क्रियाओं में तेतालीसवीं क्रिया । इसमें जिनकी यह क्रिया होती है उसे राजाओं के द्वारा राजाधिराज के पद पर अभिषिक्त किया जाता है । वह भी दूसरे के शासन से रहित समुद्र पर्यंत इस पृथिवी का शासन करता है । इस प्रकार सम्राट पद पर अभिषिक्त होना स्वराज्यप्राप्तिक्रिया कहलाती है । महापुराण 38.61, 232