उपशम श्रेणी
From जैनकोष
सिद्धांतकोष से
राजवार्तिक/9/1/18/590/1 यत्र मोहनीयं कर्मोपशमयन्नात्मा आरोहति सोपशमकश्रेणी। यत्र तत्क्षयमुपगमयन्नुद्गच्छति सा क्षपकश्रेणी। =जहाँ मोहनीयकर्म का उपशम करता हुआ आत्मा आगे बढ़ता है वह उपशम श्रेणी है, और जहाँ क्षय करता हुआ आगे जाता है वह क्षपक श्रेणी है।
देखें श्रेणी - 3।
पुराणकोष से
विशुद्ध परिणामों से सम्यक् विशुद्धि की ओर बढ़ना । चारित्र मोहनीय कर्म का उपशम करने वाले आठवें से ग्यारहवें गुणस्थानवर्ती जीवों के परिणाम । महापुराण 11.89