उभयासंख्यात
From जैनकोष
धवला पुस्तक 3/1,2,15/125/4 जं तं उभयासंखेज्जयं तं लोयायासस्स उभयदिसाओ, ताओ, पेक्खमाणे पदेसगणणं पडुच्च संखाभावादो। = लोकाकाश की उभय दिशाओं अर्थात् दो दिशाओ में स्थित प्रदेश पंक्ति उभयासंख्यात् है, क्योंकि, लोकाकाश के दो और देखने पर प्रदेशों की गणना की अपेक्षा वे संख्यातीत हैं।
देखें असंख्यात ।