सूक्ष्मसांपराय
From जैनकोष
(1) दसवाँ गुणस्थान । इसमें बादर लोभ कषाय भी नहीं होता । राग अतिसूक्ष्म रह जाता है । महापुराण 11.90, 20. 250-260 हरिवंशपुराण 3.82 वीरवर्द्धमान चरित्र 13.121-122
(2) चारित्र का एक भेद इसमें कषाय अत्यंत सूक्ष्म होता है । हरिवंशपुराण 64. 18