सूतक-पातक
From जैनकोष
जन्म-मरण के समय की अशुद्धि । रजस्वला स्त्री चौथे दिन स्नान करने के पश्चात् शुद्ध मानी गयी है इसी प्रकार प्रसूति में बालक को बाहर निकालने के लिए दूसरा, तीसरा और चौथा मास शुद्ध काल बताया गया है । महापुराण 38.70, 90-91
जन्म-मरण के समय की अशुद्धि । रजस्वला स्त्री चौथे दिन स्नान करने के पश्चात् शुद्ध मानी गयी है इसी प्रकार प्रसूति में बालक को बाहर निकालने के लिए दूसरा, तीसरा और चौथा मास शुद्ध काल बताया गया है । महापुराण 38.70, 90-91