अनुयोगद्वार
From जैनकोष
जीवतत्त्व के अन्वेषण के द्वार । ये आठ होते हैं― सत्, संख्या, क्षेत्र, स्पर्शन, काल, भाव अंतर और अल्पबहुत्व । महापुराण 24.96-98, हरिवंशपुराण 2.108
जीवतत्त्व के अन्वेषण के द्वार । ये आठ होते हैं― सत्, संख्या, क्षेत्र, स्पर्शन, काल, भाव अंतर और अल्पबहुत्व । महापुराण 24.96-98, हरिवंशपुराण 2.108