सर्वार्थसिद्धा
From जैनकोष
सिद्धांतकोष से
देखें विद्या ।
पुराणकोष से
एक विद्या । परमकल्याणरूप, मंत्रों से परिष्कृत, विद्याबल से युक्त और सभी का हित करने वाली यह विद्या धरणेंद्र ने नमि और विनमि विद्याधर को दी थी । हरिवंशपुराण 22.70-73
देखें विद्या ।
एक विद्या । परमकल्याणरूप, मंत्रों से परिष्कृत, विद्याबल से युक्त और सभी का हित करने वाली यह विद्या धरणेंद्र ने नमि और विनमि विद्याधर को दी थी । हरिवंशपुराण 22.70-73