अनित्य स्वभाव निर्देश
From जैनकोष
नयचक्र बृहद्/59-60 अत्थित्ति णत्थि णिच्चं अणिच्चमेगं अणेगभेदिदरं भव्वा भव्वं परमं सामण्णं सव्वदव्वाणं।59। चेदणमचेदणं पि हु मुत्तममुत्तं च एगबहुदेसं। सुद्धासुद्धविभावं उवयरियं होइ कस्सेव।60। = अस्तित्व, नास्तित्व, नित्य, अनित्य, एक, अनेक, भेद, अभेद, भव्य, अभव्य और परम। ये 11 सर्व द्रव्यों के सामान्य स्वभाव हैं।59। चेतन, अचेतन, मूर्त, अमूर्त, एकप्रदेशी, बहुप्रदेशी, शुद्ध, अशुद्ध, विभाव और उपचरित ये 10 स्वभाव द्रव्यों के विशेष स्वभाव हैं। [इस प्रकार कुल 21 सामान्य व विशेष स्वभाव हैं। ( नयचक्र बृहद्/70 )]; ( आलापपद्धति/4 ), (नयचक्र (श्रुतभवन)/61)
- और देखें स्वभाव ।