क्रीडा
From जैनकोष
शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के वर्धक खेल । इसके चेष्टा, उपकरण, वाणी और कलाव्यासंग ये चार भेद हैं । इनमें शरीर से की जाने वाली क्रीडा को चेष्टा, गेंद आदि के द्वारा की जाने वाली क्रीडा उपकरण, सुभाषित आदि से की जाने वाली क्रीडा वाणी और जुआ आदि से की जाने वाली क्रीडा कलाव्यासंग होती है । पद्मपुराण 24.67-69