नीलांजना
From जैनकोष
(1) शकटामुख नगर के स्वामी विद्याधर नीलवान् की पुत्री । यह नील विद्याधर की बहिन थी । इसका विवाह राजा सिंहद्रंष्ट से हुआ था । इसकी पुत्री नीलयशा थी । हरिवंशपुराण 22.113-114 23.1-6
(2) विजयार्ध पर्वत की उत्तरश्रेणी में स्थित अलका नगरी के राजा मयूरग्रीव की रानी । अश्वग्रीव, नीलरथ, नीलकंठ, सुकंठ और वज्रकंठ इसके पुत्र थे । महापुराण 62.58-59, वीरवर्द्धमान चरित्र 3.68-70
(3) इंद्र की अप्सरा । इंद्र तीर्थंकर वृषभदेव को वैराग्य उत्पन्न करने के लिए इसे स्वर्ग से धरा पर लाया था । इसने हाव-भावपूर्वक वृषभदेव के समक्ष नृत्य किया नृत्य करते-करते इसकी आयु क्षण हो गयी । इसके अदृश्य होने पर वृषभदेव देह को क्षणभंगुर जानकर संसार से विरक्त हो गये थे । इसका अपरनाम नीलांजना था । महापुराण 17.6-8, 149, पद्मपुराण 3.263, हरिवंशपुराण 9.47, पांडवपुराण 2.215-221