महोदधिकुमार
From जैनकोष
एक भवनवासी देव । पूर्वभव में यह एक वानर था । वानर-योनि में इसने राक्षसवंशी राजा विद्युत्केश की पत्नी श्रीचंद्रा के स्तन विदीर्ण किये थे । इस अपराध के फलस्वरूप विद्युत्केश के बाणों से आहत होकर यह एक मुनि के निकट पहुँचा था । मुनि ने दयार्द्र होकर इसे सब पदार्थों का त्याग कराकर पंच नमस्कार मंत्र का उपदेश दिया था । मंत्र के अभाव से वह वानर मरकर इस नाम का देव हुआ । पद्मपुराण 6.236-242