कल्याणजय
From जैनकोष
समवसरण की वेदिकाओं से बद्ध वीथियों के बीच का स्थान । यह प्रकाशभय कदलीवृक्षों से सुशोभित रहता है । हरिवंशपुराण 57.67
समवसरण की वेदिकाओं से बद्ध वीथियों के बीच का स्थान । यह प्रकाशभय कदलीवृक्षों से सुशोभित रहता है । हरिवंशपुराण 57.67