गंगाकूट
From जैनकोष
सिद्धांतकोष से
हिमवान् पर्वतस्थ एक कूट–देखें लोक - 5.4।
पुराणकोष से
(1) हिमवान् पर्वतस्थ ग्यारह कूटों में पांचवां कूट । इसकी ऊँचाई पच्चीस योजन है । यह मूल में पच्चीस, मध्य में पौने उन्नीस और ऊपर साढ़े बारह योजन विस्तृत है । गंगा इसी कूट से दक्षिण की ओर प्रवाहित होती है । हरिवंशपुराण 5. 54-56, 138(2) गंगादेवी की निवासभूमि । महापुराण 45.148