दृष्टि
From जैनकोष
यह चार प्रकार की होती है- क्रियादृष्टि, अक्रियादृष्टि, अज्ञानदृष्टि और विनयदृष्टि । इनमें क्रियादृष्टि (क्रियावादी) के एक सौ अरूपी, अक्रियादृष्टि (अक्रियावादी) के चौरासी, अज्ञानदृष्टि (अज्ञानवादी) के अड़सठ और विनयदृष्टि (विनयवादी) के बत्तीस प्रभेद होते हैं । हरिवंशपुराण 10. 47-48