परमशुक्लध्यान
From जैनकोष
शुक्लध्यान का दूसरा भेद । यह सूक्ष्मक्रियापाति और समूच्छिन्नक्रियानिवृर्ति भेद से दो प्रकार का होता है । यह केवली स्नातक मुनि को प्राप्त होता है । महापुराण 21. 167, 188, 194-197 परमसिद्धत्व― मुक्तात्मा का एक विशिष्ट गुण । इसमें समस्त पुरुषार्थों की पूर्णता होती है । महापुराण 42. 107