पादप्रधावन
From जैनकोष
पाद-प्रक्षालन । नवधा भक्तियों में तृतीय भक्ति । इसमें पात्र को पड़गाहने के पश्चात् उच्च आसन पर विराजमान करके उसके चरण धोये जाते हैं । महापुराण 20.86-7
पाद-प्रक्षालन । नवधा भक्तियों में तृतीय भक्ति । इसमें पात्र को पड़गाहने के पश्चात् उच्च आसन पर विराजमान करके उसके चरण धोये जाते हैं । महापुराण 20.86-7