मृत्यु-आशंका
From जैनकोष
मरणाशंसा । यह सल्लेखनाव्रत का दूसरा अतिचार है । इसमें पीड़ा से व्याकुलित होकर शीघ्र मरने की इच्छा की जाती है । हरिवंशपुराण 58. 184
मरणाशंसा । यह सल्लेखनाव्रत का दूसरा अतिचार है । इसमें पीड़ा से व्याकुलित होकर शीघ्र मरने की इच्छा की जाती है । हरिवंशपुराण 58. 184