रत्नप्रभ
From जैनकोष
सिद्धांतकोष से
रुचक पर्वतस्थ एक कूट−देखें लोक - 5.13 ।
पुराणकोष से
(1) विभीषण का एक विमान । राम की और से रावण की सेना से युद्ध करने विभीषण इसी विमान में गया था । (महापुराण 58.20)
(2) रुचगिरि की आग्नेय दिशा का एक कूट । यहाँ वैजयंती देवी रहती है । (हरिवंशपुराण 5.725)