वसुंधरा
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सिद्धांतकोष से
पुराणकोष से
(1) एक देवी । यह रुचकवर पर्वत के दक्षिण में विद्यमान आठ कूटों में सातवें चंद्रकूट पर रहती है । हरिवंशपुराण 5. 710
(2) श्वेतांबिका नगरी के राजा वासव की रानी । यह नंदयशा की जननी थी । इसका अपर नाम वसुंधरी था । महापुराण 71.283, हरिवंशपुराण 33. 161
(3) जंबूद्वीप के पूर्व विदेहक्षेत्र में वत्सकावती देश की प्रभावती अपर नाम प्रभाकरी नगरी के राजा स्तिमितसागर की रानी । यह अपराजित की जननी थी । महापुराण 62.412-413, पांडवपुराण 4.246-247
(4) जंबूद्वीप के पुष्कलावती देश में उत्पलखेटक नगर के राजा वज्रबाहु की रानी । यह वज्रसंघ की जननी थी । महापुराण 6.26-29
(5) धातकीखंड द्वीप के पूर्वविदेहक्षेत्र में वत्सकावती देश की प्रभाकरी नगरी के राजा महासेन की रानी । यह जयसेन की जननी थी । महापुराण 7.84-86
(6) राजा यशोधर की रानी । वज्रदंत इसका पुत्र था । महापुराण 7.102
(7) सुजन-देश के नगर शोभनगर के राजा दृढ़मित्र के भाई सुमित्र की पत्नी । श्रीचंद्रा इसी की पुत्री थी । महापुराण 75.438-439
(8) विजयार्ध पर्वत की अलका नगरी के राजा महासेन की पुत्री । उग्रसेन और वरसेन इसके भाई थे । इसका विवाह प्रीतिंकर के साथ किया गया था । इसके पिता ने इसके पुत्र प्रियंकर को राज्य सौंप कर के तीर्थंकर महावीर से संयम ले लिया था । महापुराण 76.265, 346-347, 385-386
(9) रावण की अनेक रानियों में एक रानी । पद्मपुराण - 77.14