सवर्णकारिणी
From जैनकोष
सिद्धांतकोष से
हरिवंशपुराण/22/51-73 का भावार्थ
–भगवान् ऋषभदेव से नमि और विनमि द्वारा राज्य की याचना करने पर धरणेंद्र ने अनेक देवों के संग आकर उन दोनों को अपनी देवियों से कुछ विद्याएँ दिलाकर संतुष्ट किया। उनमें से एक विद्या सवर्णकारिणी है। ( महापुराण/7/34-334 )।
अधिक जानकारी के लिये देखें विद्या ।
पुराणकोष से
मंत्रों से परिष्कृत, परमकल्याणरूप एक विद्या । धरणेंद्र ने यह विद्या नमि और विनमि को दी थी । हरिवंशपुराण - 22.71-72