एकदंडधर
From जैनकोष
तीर्थंकर वृषभदेव के साथ दीक्षित हुए किंतु परीषह सहने में असमर्थ, वनदेवता के भय से भयभीत, पथभ्रष्ट, कंदमूल-फल भोजी और वन-उटज निवासी एकदंडधारी परिव्राजक । महापुराण 18. 51-60
तीर्थंकर वृषभदेव के साथ दीक्षित हुए किंतु परीषह सहने में असमर्थ, वनदेवता के भय से भयभीत, पथभ्रष्ट, कंदमूल-फल भोजी और वन-उटज निवासी एकदंडधारी परिव्राजक । महापुराण 18. 51-60