शिकार
From जैनकोष
लांटी संहिता अधिकार 2/139 अंतर्भावोऽस्ति तस्यापि गुणव्रतसंज्ञिके। अनर्थदंडत्यागाख्ये बाह्यानर्थ क्रियादिवत् ॥139॥
= शिकार खेलना बाह्य अनर्थ क्रियाओं के समान है, इसलिए उसका त्याग अनर्थदंड त्याग नाम के गुणव्रत में अंतर्भूत हो जाता है। अधिक जानकारी के लिए देखें आखेट ।