शिवलाल (पं.)
From जैनकोष
आप एक उच्चकोटि के विद्वान् थे। अनेक ग्रंथों की देश भाषामय टीकाएँ लिखी हैं। यथा - भगवती आराधना, रत्नकरंड श्रा., चर्चासंग्रह, बोधसार, दर्शनसार, अध्यात्म तरंगिनी आदि ग्रंथों की भाषा टीका। समय - वि.1818 (ई.1761)। (भगवती आराधना/प्र.25 प्रेमीजी)