मूलगुण
From जैनकोष
- ध. आ./वि./११६- २७७/३- उत्तरगुणानां कारणत्वान्मूलगुणव्यपदेशो व्रतेषु वर्तते । = अनशनादि तप उत्तर गुण हैं(दे. उत्तर गुण) । उनके कारण होने से व्रतों में मूलगुण का व्यपदेश होता है ।
- श्रावक के अष्ट मूलगुण− दे. श्रावक ४) ।
- साधु के २८ मूल गुण- दे. साधु/२ ।