रश्मिवेग
From जैनकोष
म. पु./७३/श्लोक पुश्कलावती देश के विजयार्ध पर त्रिलोकोत्तम नगर के राजा विद्युद्गति का पुत्र था । दीक्षा ग्रहण कर सर्वतोभद्र के उपवास ग्रहण किये । एक समय समाधियोग में बैठे हुए इनको पूर्व भव के भाई कमठ के जीव ने अजगर बनकर निगल लिया । (३१-२५)। यह पार्श्वनाथ भगवान् का पूर्व का छठा भव है ।−दे. पार्श्वनाथ ।