जीवंधर
From जैनकोष
―(म.पु./७५/श्लो.नं.) राजा सत्यन्धर का पुत्र था। श्मशान में जन्म हुआ था, गन्धोत्कट सेठ अपने मृत पुत्र को छोड़कर वहा से इनको उठा लाया। आ.आर्यवर्मा से शिक्षा प्राप्त की। अनेकों कन्याओं को स्वयंवरों में जीता।२२८। पिता के घातक मन्त्री काष्ठांगार को मारकर राज्य प्राप्त किया।६६६। अन्त में दीक्षाधार (६७९-६८२) मोक्ष सिधारे (६८५-६८७)। पूर्वभव नं.२ में आप पुण्डरीकिणी नगरी के राजा जयन्धर के ‘जयद्रथ’ नाम के पुत्र थे। इन्होंने एक हंस के बच्चे को आकाश से पकड़ लिया था तथा उसके पिता (हंस) को मार दिया था। उसी के फलस्वरूप इस भव में जन्मते ही इनका पिता मारा गया, तथा १६ वर्ष तक माता से पृथक् रहना पड़ा।५३४-५४२।–तहा से चयकर पूर्वभव नं.१ में सहस्रार स्वर्ग में देव हुए।५४३-५४४। और वर्तमान भव में जीवन्धर हुए।