दृष्टि प्रवाद
From जैनकोष
ध.९/४,१,४५/२०५/९ दिट्ठिवादो त्ति गुणणामं, दिट्ठीओ वददि त्ति सद्दणिप्पत्तीदो। =दृष्टिवाद यह गुणनाम है, क्योंकि दृष्टियों को जो कहता है, वह दृष्टिवाद है, इस प्रकार दृष्टिवाद शब्द की सिद्धि है। यह द्वादशांग श्रुतज्ञान का १२ वा अंग है। विशेष देखें - श्रुतज्ञान / III ।