न्यून
From जैनकोष
- न्या.सू./मू./५/२/१२/३१५ हीनमन्यतमेनाप्यवयवेन न्यूनम् ।१२। =प्रतिज्ञा आदि पाच अवयवों में से किसी एक अवयव से हीन वाक्य कहना न्यून नामक निग्रहस्थान है। (श्लो.वा.४/१/३३/ न्या./२२०/३९६/११ में इसका निराकरण किया गया है)
- गणित को व्यकलन विधि में मूलराशि को ऋण राशिकर न्यून कहा जाता है– देखें - गणित / II / १ / ४ ।