शब्दानुपात
From जैनकोष
स.सि./७/३१/६३९/१० व्यापारकरान्पुरुषान्प्रत्यभ्युत्कात्सिकादिकरणं शब्दानुपात:।=जो पुरुष किसी उद्योग में जुटे हैं उन्हें उद्देश्य कर घांसना आदि शब्दानुपात है। (देशव्रत के अतिचार के प्रकरण में), (रा.वा./७/३१/३/५५६/६)।
स.सि./७/३१/६३९/१० व्यापारकरान्पुरुषान्प्रत्यभ्युत्कात्सिकादिकरणं शब्दानुपात:।=जो पुरुष किसी उद्योग में जुटे हैं उन्हें उद्देश्य कर घांसना आदि शब्दानुपात है। (देशव्रत के अतिचार के प्रकरण में), (रा.वा./७/३१/३/५५६/६)।