अभिषव
From जैनकोष
सर्वार्थसिद्धि अध्याय संख्या ७/३५/३७१ द्रवो वृष्यो वाभिषवः।
= द्रव, वृष्य और अभिषव इनका एक अर्थ है।
( राजवार्तिक अध्याय संख्या ७/३५/५/५५८)।
सर्वार्थसिद्धि अध्याय संख्या ७/३५/३७१ द्रवो वृष्यो वाभिषवः।
= द्रव, वृष्य और अभिषव इनका एक अर्थ है।
( राजवार्तिक अध्याय संख्या ७/३५/५/५५८)।