उदीर्ण
From जैनकोष
धवला पुस्तक संख्या १३/४,२,१०,२/३०३/३ फलदानृत्वेन परिणतः कर्मपुद्गलस्कन्धः उदीर्णः।
= फलदान रूपसे परिणत हुआ कर्म-पुद्गल स्कन्ध उदीर्ण हुआ कहा जाता है।
धवला पुस्तक संख्या १३/४,२,१०,२/३०३/३ फलदानृत्वेन परिणतः कर्मपुद्गलस्कन्धः उदीर्णः।
= फलदान रूपसे परिणत हुआ कर्म-पुद्गल स्कन्ध उदीर्ण हुआ कहा जाता है।