अतिरूपक
From जैनकोष
देवरमण वन का एक व्यन्तरदेव । सुरूप नामक देव और यह दोनों इसी वन में उत्पन्न हुए थे । पूर्व जन्म में दोनों गीध और कबूतर थे । दोनों ने मुनि मेघरथ से दान और उसके पात्र का स्वरूप भली प्रकार समझा था इसलिए अन्त में देह त्यागकर ये दोनों देव हुए थे । महापुराण 63.276-278