कालानुयोग 10
From जैनकोष
१०. <a name="10" id="10">अष्टकर्म के चतु: उदय सम्बन्धी ओघ आदेश प्ररूपणा
नं. |
विषय |
नानाजीवापेक्षया |
एकजीवापेक्षया |
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विषय |
पद विशेष |
मूल प्रकृति |
उत्तर प्रकृति |
मूल प्रकृति |
उत्तर प्रकृति |
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१. |
प्रकृति |
जघन्य उत्कृष्ट पद |
ध.१५/२८५ |
ध.१५/२८८ |
ध.१५/२८५ |
ध.१५/२८८ |
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भुजगारादि पद |
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हानि वृद्धि पद |
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वृद्धि पद |
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२ |
स्थिति |
जघन्य उत्कृष्ट पद |
ध.१५/२९२ |
ध.१५/२९५ |
ध.१५/२९१ |
ध.१५/२९५ |
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भुजगारादि पद |
ध.१५/२९४ |
ध.१५/२९५ |
ध.१५/२९४ |
ध.१५/२९५ |
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हानि वृद्धि पद |
ध.१५/२९४ |
ध.१५/२९५ |
ध.१५/२९४ |
ध.१५/२९५ |
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वृद्धि पद |
ध.१५/२९४ |
ध.१५/२९५ |
ध.१५/२९४ |
ध.१५/२९५ |
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३ |
अनुभाग |
जघन्य उत्कृष्ट पद |
ध.१५/२९ |
ध.१५/२९ |
ध.१५/२९ |
ध.१५/२९ |
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भुजगारादि पद |
ध.१५/२९ |
ध.१५/२९ |
ध.१५/२९ |
ध.१५/२९ |
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हानि वृद्धि पद |
ध.१५/२९ |
ध.१५/२९ |
ध.१५/२९ |
ध.१५/२९ |
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वृद्धि पद |
ध.१५/२९ |
ध.१५/२९ |
ध.१५/२९ |
ध.१५/२९ |
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४ |
प्रदेश |
जघन्य उत्कृष्ट पद |
ध.१५/२९ |
ध.१५/३०९ |
ध.१५/२९ |
ध.१५/३०९ |
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भुजगारादि पद |
ध.१५/२९ |
ध.१५/३२९ |
ध.१५/२९ |
ध.१५/३२५-३२९ |
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हानि वृद्धि पद |
ध.१५/२९ |
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ध.१५/२९ |
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वृद्धि पद |
ध.१५/२९ |
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ध.१५/२९ |
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