कुप्य
From जैनकोष
स.सि./७/२९/३६८/९ कुप्यं क्षौमकार्पासकौशेयचन्दनादि।=रेशम, कपास और कोसा के वस्त्र तथा चन्दन आदि कुप्य कहलाता है। (रा.वा./७/२९/१/५५५/१०)।
स.सि./७/२९/३६८/९ कुप्यं क्षौमकार्पासकौशेयचन्दनादि।=रेशम, कपास और कोसा के वस्त्र तथा चन्दन आदि कुप्य कहलाता है। (रा.वा./७/२९/१/५५५/१०)।