गोत्रकर्म
From जैनकोष
उच्च और नीच कुल में पैदा करने वाला और उच्च और नीच व्यवहार का कारण कर्म । इसकी उत्कष्ट स्थिति बीस सागर और जघन्य स्थिति आठ मुहूर्त होती है । हरिवंशपुराण 3. 98, 58.218, वीरवर्द्धमान चरित्र 16.157-159
उच्च और नीच कुल में पैदा करने वाला और उच्च और नीच व्यवहार का कारण कर्म । इसकी उत्कष्ट स्थिति बीस सागर और जघन्य स्थिति आठ मुहूर्त होती है । हरिवंशपुराण 3. 98, 58.218, वीरवर्द्धमान चरित्र 16.157-159