ग्रैवेयक
From जैनकोष
कल्पातीत स्वर्गों का एक भेद– देखें - स्वर्ग / १ / ४ ;५/२।
रा.वा./४/१९/२/२० लोकपुरुषस्य ग्रीवास्थानीयत्वात् ग्रीवा:, ग्रीवासु भवानि ग्रैवेयकाणि विमानानि, तत्साहचर्यात् इन्द्रा अपि ग्रैवेयका:।=लोक पुरुष के ग्रीवा की तरह ग्रैवेयक हैं। जो ग्रीवा में स्थित हों वे ग्रैवेयक विमान हैं। उनके साहचर्य से वहा̐ के इन्द्र भी ग्रैवेयक हैं।