चौंतीस अतिशय व्रत
From जैनकोष
निम्न प्रकार ६५ उपवास कुल २ वर्ष ८ मास १५ दिन में पूरे होते हैं।
- जन्म के १० अतिशयों के लिए १० दशमियाँ;
- केवलज्ञान के १० अतिशयों के लिए १० दशमियाँ;
- देवकृत १४ अतिशयों के लिए १४ चतुर्दशियाँ;
- चार अनन्त चतुष्टयों के लिए ४ चौथ;
- आठ प्रातिहार्यों के लिए ८ अष्टमियाँ;
- पंच ज्ञानों के लिए ५ पंचमियाँ;
- तथा ६ षष्ठियाँ–इस प्रकार कुल ६५ उपवास। ‘ओं ह्रीं णमो अर्हंताणं’ मंत्र का त्रिकाल जाप्य। (व्रत विधान संग्रह, पृ.१०९), (किशन सिंह क्रिया कोश)।