छेदोपस्थापना
From जैनकोष
चारित्र का एक भेद- अपने प्रमाद द्वारा हुए अनर्थ को दूर करने के लिए की हुई समीचीन प्रतिक्रिया । इसके पाँच भेद होते हैं― ज्ञानाचार, दर्शनाचार, चारित्राचार, तपाचार और वीर्याचार । तीर्थंकरों को छेदोपस्थापना की आवश्यकता नहीं होती । महापुराण 20. 172-173, हरिवंशपुराण 64.16
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