जिनमुखावलोकनव्रत
From जैनकोष
―भाद्रपद कृ.१ से आसौज कृ.१ तक, एक मास पर्यन्त प्रतिदिन प्रात: उठकर अन्य किसी का मुख देखे बिना भगवान् के दर्शन करे। नमस्कार मन्त्र का त्रिकाल जाप्य करे। (व्रतविधान संग्रह/पृ.९०); (किशनसिंह क्रियाकोश)।
―भाद्रपद कृ.१ से आसौज कृ.१ तक, एक मास पर्यन्त प्रतिदिन प्रात: उठकर अन्य किसी का मुख देखे बिना भगवान् के दर्शन करे। नमस्कार मन्त्र का त्रिकाल जाप्य करे। (व्रतविधान संग्रह/पृ.९०); (किशनसिंह क्रियाकोश)।