दृष्टिवाद
From जैनकोष
बारहवाँ अंग । इसमें एक सौ आठ करोड़ अड़सठ लाख छप्पन हजार पाँच पदों द्वारा तीन सौ त्रेसठ दृष्टियों का विस्तार के साथ वर्णन किया गया है । महापुराण 34.146, हरिवंशपुराण 10.46
इसके पाँच भेद होते है- परिकर्म, सूत्र, अनुयोग, पूर्वगत और चूलिका । महापुराण 34.146, हरिवंशपुराण 10.46, 61 देखें अंग