द्विकावलि
From जैनकोष
एक व्रत । यह अड़तालीस दिन में सम्पन्न होता है । इसमें अड़तालीस षण्ठोपवास (बेला) और इतनी ही पारणाएँ की जाती हैं । हरिवंशपुराण 34.68
एक व्रत । यह अड़तालीस दिन में सम्पन्न होता है । इसमें अड़तालीस षण्ठोपवास (बेला) और इतनी ही पारणाएँ की जाती हैं । हरिवंशपुराण 34.68