नयचक्र
From जैनकोष
नयचक्र नाम के कई ग्रन्थों का उल्लेख मिलता है। सभी नय व प्रमाण के विषय का निरूपण करते हैं।
- प्रथम नयचक्र आ.मल्लवादी नं.१ (ई.३५७) द्वारा संस्कृत छन्दों में रचा गया था, जो श्लोक वार्तिक की रचना करते समय आ.विद्यानन्दि को प्राप्त था। पर अब वह उपलब्ध नहीं है।
- द्वितीय नयचक्र आ.देवसेन (ई.९३३-९५५) द्वारा प्राकृत गाथाओं में रचा गया है। इसमें कुल ४२३ गाथाएँ हैं।
- तृतीय नयचक्र पर पं.हेमचन्द जी ने (ई.१६६७) एक भाषा वचनिका लिखी है। (ती./२/३३०, ३६६)