नागसेन
From जैनकोष
- श्रुतावतार के अनुसार आप भद्रबाहु प्रथम के पश्चात् पाँचवें ११ अंग व १० पूर्वधारी हुए। समय–वी.नि.२२९-२४७ दृष्टि नं.३ की अपेक्षा वी.नि.२८९-३००। ( देखें - इतिहास / ४ / ४ )।
- ध्यान विषयक ग्रन्थ तत्त्वानुशासन के कर्ता रामसेन के गुरु और वीरचन्द के विद्या शिष्य। समय–ई.१०४७। (ती./३/२३६) कोई कोई इन्हें ही तत्त्वानुशासन के रचयिता मानते हैं। (त.अनु./प्र./२ ब्र.लाल)