आशंसा
From जैनकोष
राजवार्तिक अध्याय संख्या ७/३७/१/५५८/३३ आकाङ्क्षणमभिलाषः आशंसेत्युच्यते।= आकांक्षा अर्थात् अभिलाषाको आशंसा कहते हैं।
राजवार्तिक अध्याय संख्या ७/३७/१/५५८/३३ आकाङ्क्षणमभिलाषः आशंसेत्युच्यते।= आकांक्षा अर्थात् अभिलाषाको आशंसा कहते हैं।