पद्मनाभ
From जैनकोष
म. पु./54 श्लो1क पूर्व धातकीखण्डी में मंगलावती देश के रत्नभसंचय नामक नगर के राजा कनकप्रभ का पुत्र था। (121-131)। अन्तर में दीक्षा धारण कर ली। तथा ग्याशरह अंगों का परिणामी हो तीर्थंकर प्रकृति का बन्धक किया। आयु के अन्ते में समाधिपूर्वक वैजयन्त विमान में अहमिन्द्रा हुआ (158-162)। यह चन्द्रेप्रभु भगवान् के पूर्व का दूसरा भव है—दे0 चन्द्र प्रभ।