परमेश्वर तत्त्व
From जैनकोष
ज्ञा./२९/७/२८५ नाभिस्कन्धाद्विनिष्क्रान्तं हृत्पद्मोदरमध्यगम्। द्वादशान्ते सुविश्रान्तं तज्ज्ञेयं परमेश्वरम्। ७। = जो नाभिस्कन्ध से निकाला हुआ तथा हृदय कमल में से होकर द्वादशान्त (तालुरंध्र) में विश्रान्त हुआ (ठहरा हुआ) पवन है, उसे परमेश्वर जानो क्योंकि यह पवन का स्वामी है। ७।