परिकर्म
From जैनकोष
दृष्टिप्रवाद अंग का प्रथम भेद- देखें - श्रुतज्ञान / III / २ . आचार्य कुन्दकुन्द (ई.१२७-१७९) द्वारा षट्खण्डागम के प्रथम तीन खण्डों पर प्राकृत भाषा में लिखी गयी टीका। (देखें - कुन्दकुन्द ); (विशेष देखें - परिशिष्ट )।
दृष्टिप्रवाद अंग का प्रथम भेद- देखें - श्रुतज्ञान / III / २ . आचार्य कुन्दकुन्द (ई.१२७-१७९) द्वारा षट्खण्डागम के प्रथम तीन खण्डों पर प्राकृत भाषा में लिखी गयी टीका। (देखें - कुन्दकुन्द ); (विशेष देखें - परिशिष्ट )।